Friday, October 23, 2009

किसकी जीत और किसकी हार


तीन राज्यों के चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया कि आज के लोकतंत्र में जनता क्या चाहती है वो ज्यादा मायने नहीं रखता... अलबत्ता राजनेता क्या चाहते हैं, इस बात का जोर ज्यादा रहता है। हरियाणा, महाराष्ट्र और अरुणाचल के चुनावों को जरा गौर से देखा जाए तो सारी हकीकत सामने आ जाती है। तीनों राज्यों में टिकट बंटवारे से कहानी शुरु होती है... तीनों प्रदेशों में सभी राजनीतिक दलों ने इस बात की तसल्ली करनी चाही कि उनके सगे संबंधियों और रिश्तेदारों को टिकट पहले मिले... बाद में किसी और के बरे में सोचा गया.... इनमें भी वे ही लोग थे जो या तो पूंजीपति थे या फिर सत्ता के गलियारों में घूमने वाले दलाल.... आम आदमी के नेता की तो बारी ही नहीं आई।

आम आदमी की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों ने आम आदमी को सत्ता के पर्व से इतना दूर कर दिया है कि वो तो वोट डालने जाता ही नहीं है। ज्यदातर लोग इस दौरान शहरों से दूर छुट्टियां मनाने चले जाते हैं... असल में वो अपनी खीज और कुछ ना कर पाने की झल्लाहट से दूर भाग रहे हैं...। क्योंकि आज देश में राजनेताओँ और उनकी पार्टियों ने ऐसे तंत्र को विकसित कर लिया है... जिसमें केवल फायदा उनका ही होता है और नुक्सान केवल जनता भोगती है। देश में मौजूदा स्थिति को देखा जाए तो महंगाई इतना बड़ा मुद्दा है कि हर आम और खास को इससे फर्क पड़ा है। लेकिन चुनाव नतीज़ों से पता चलता है कि बदलाव तो आया नहीं लेकिन जो कुशासन के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे.... उनका भी मनोबल टूट गया है। क्योंकि सत्ताधारियों ने अपने रसूख का पूरा फायदा उठाया है। पूरे तंत्र में एक ही तरह के लोग बैठे हैं... जिनका एक ही मकसद है... जो हो रहा है, उसे होने देना... मतलब कि सब खाओ, मिल कर खाओ... बस खाओ। कौन नही जानता कि हरियाणा, महाराष्ट्र में ज्यादातर प्रत्याशी किसी ना किसी तौर पर रियल एस्टेट और बिल्डर लॉबी से जुड़े हुए हैं। और सभी जानते हैं कि जमीन अदिग्रहण में कैसे धांधलियां हो रही हैं....। असल में इसका पता कभी चलता ही नहीं कि कैसे राजनीतिक दल और माफिया मिलकर देश को बेच रहे हैं वो भी देश के कानून के तहत ही। अगर चण्डीगढ़ में जमीन मामला सामने नहीं आता... पंजाब के राज्यपाल पर अंगुली उठी तो उसने केंद्र के मंत्रियों के नाम भी बक दिए...। अब सोचिए कि ऐसा क्या हुआ.... हुआ कुछ नहीं बस पंजाब में सत्ता परिवर्तन हुआ और सारा मामला साफ हो गया।

राजनीति और भ्रष्टाचार हमेशा से एक दूसरे के पूरक रहे हैं.... कसकर हमारे देश में...। तमाम घोटालों में राजनेताओं की केंद्रीय भूमिका रही है। चाहे बोफोर्स दलाली मामला हो, हवाला काण्ड हो, चारा घोटला हो, या फिर इस दौर में चल रहे जमीन अधिग्रहण के मामले। जाहिर तौर पर इन मामलों में गंभीरता से जांच होनी चाहिए और पता लगाना चाहिए कि क्या सत्ताधरी जानबूझ कर कानूनों में फेरबदल करके अपने अनुसार ढाल रहे हैं।

ये किसी से नहीं छिपा है कि राजनीति का स्तर गिरा है। और विपक्ष क्यों परवर्तन नहीं कर पा रहा है इसकी वजह है वही निजी स्वार्थ जिसके बलबूते सत्ताधारी पक्ष मलाई का रहा है। विपक्ष भी उसी सिस्टम का हिस्सा बना हुआ है जिसके बलबूते सत्ता चल रही है.... लिहाज़ा विपक्ष आम आदमी के मुद्दों को नहीं उठा पाया है। देश में कासतौर पर विपक्षी दलों को अपनी सोच में बदलाव करना होगा। उन्हें समझना होगा कि कोई बड़ा बदलाव किसी बड़ी क्रांति के साथ ही आता है। लिहाज़ा जमीन पर उतर कर आम और गरीब लोगों के हकों की लड़ाई करने पर ही विपक्ष परिवर्तन लाने की स्थिति में पहुंच सकता है।

Sunday, October 4, 2009

The Silent Factor



The congress party is relying on its austerity drive to get the best result out of assembly election in Haryana, Maharashtra and arunachal Pradesh. The heir to the congress’s throne, rahul Gandhi is visiting dalits and having delicacies in menus. Poor villagers in uttar Pradesh are on move to arrange for the dinner parties of young king, whether they have to borrow or sell, they are keeping up things for there beloved yuvraj. After all they are fortunate to have there future king at there door. Any how, what intention rahul and his party have, we’ll not discuss it here. But what they are doing is out of the comprehensions of the people of India.

In the time of economic slowdown and heavy inflation, party and its ministers are asking people of India to adopt austerity, asking starving nation to starve more. How ridiculous, instead of giving relief to the people they are making to suffer more. This is the complete failure of the government and its ministers. I will not hold prime minister of any account, as he doesn’t posses the real power. But certainly the family should be answerable. They are the one who are actually making policies and directing there coterie for implementation. It is evident that without the consent of Gandhis nothing gets implemented nor gets stopped. So in that way all the achievements and all the failures of governments should be for the real rulers, not for the facades.

We all know how and why crown prince is pushing dalit card in up. It’s totally a political gimmick, we all know his real intention, he is doing exactly the same what his father and grandma did, walking between poor and waving hands as if they are some kind of divine avatar. They just want the vote of poor and dalits, there real motive is to ride on the backs of poor and dalits. They just want to continue there reign, that’s it.

But do they know that country has changed, people are more aware and they ask questions now. People are asking what congress and its feudals did for the country. What is there actual achievement? Has they changed the life of real India. The poor, the dalits. Has they made country corruption free? What they did to strengthen Indian armed forces?
Poor are still poor and dalits are still considered dalits in urban India too, forget rural areas. And as far as corruption is concerned, congress party’s cabinet ministers are time to time caught in this regard. Last time Volker’s report drowned natwar Singh and kamalnath was saved by madam at right time. This time there foreign minister and his deputy were caught by there own finance minister abusing public money. This government is insensitive not only towards people of India but towards armed forces also. Army men who make it sure that rest of India sleep well while they patrol over borders are continuously facing discrimination over pay scale. This government is busy filling belly’s of there sycophant diplomats and babus, in order to keep there mouth shut over there misdeeds and making the system more compatible.

Now the time has come when India should release itself from the greedy clutches of these family walas. India has silently decided to give them a break. This election in Haryana and Maharashtra, people will uproot these selfish self centered tyrants. Definitely silent factor will decide the fate of these states.